राष्ट्र मंदिर


राष्ट्र मंदिरों की परिकल्पना सात निष्ठाओं—आत्मनिष्ठ, व्यक्तिनिष्ठ, समष्टिनिष्ठ, धर्मनिष्ठ, कर्मनिष्ठ, ज्ञाननिष्ठ, भक्तिनिष्ठ एवं राष्ट्रनिष्ठ—के समन्वय पर आधारित है। इसका मुख्य उद्देश्य सतत ज्ञान-हस्तांतरण व्यवस्था को विकसित करना है। राष्ट्र मंदिर को 24 घंटे खुला रखने और इस दौरान सनातन धर्म (संस्कृति) के गूढ़ सिद्धांतों का प्रसार करने का विचार है। यह पहल केवल धार्मिक जागरूकता ही नहीं बढ़ाएगी, बल्कि लोगों को आध्यात्मिक, नैतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों से भी गहराई से जोड़ेगी, जिससे भारत के संदर्भ में राष्ट्र की व्यावहारिक एवं जीवंत संकल्पना विकसित होगी। 

इसके लिए एक सुव्यवस्थित और रोचक कार्यक्रम तैयार किया गया है—7 दिनों का, 24×7 = 168 घंटे का विस्तृत आयोजन—जिसमें वैदिक ज्ञान, साधना, संवाद, कला-संगीत और लोकसेवा के विविध सत्र सम्मिलित होंगे, ताकि हर निष्ठा का सार जन-जन तक पहुँच सके। 

धर्मस्य तत्वं निहितं गुहायां, 

महाजनो येन गतः स पन्थाः॥

                                                 महाभारत, शांति पर्व (109.10–12 )

भावार्थ

धर्म का मूल तत्व बहुत सूक्ष्म और गूढ़ है। इसे केवल नियमों, तर्कों या ग्रंथों से पूर्णतः समझा नहीं जा सकता।
धर्म का सही स्वरूप उस मार्ग में झलकता है जिस पर महान पुरुष चलते हैं, क्योंकि वे अपने आचरण से धर्म को मूर्त रूप देते हैं।